Lone Living
The vacuum is so apparent
Can you feel it as inherent
Or is it of my own making
The emptiness of lone living
There are so many who share
None to personally care
To be with me, by my side
Hold me, see what is inside
That gnaws my inner being
So help end the turmoil within
Come feel with me, not afar
Make my soul peaceful, at par
Let some light shine without
Let me, let me shun darkness out
Soulmate
No journey is ever easy
I ruminate, restless and queasy
As I miss my soulmate
Since years assigned to fate
I wish to see, touch that one
Wish so many years undone
To go back to those days of yore
Love, live life just like before.
These poems were part of The Poetry Issue 2023, curated by Shireen Quadri. © The Punch Magazine. No part of these should be reproduced anywhere without the prior permission of The Punch Magazine.
निगाहें
जब निगाहें चार होती हैं
नज़र से नज़र टकराती हैं
संदली आँखों से जो देखा करता है
मेरी आँखों को तो नम कर देता है
अचानक वक्त थम जाता है
लम्हा वही पर रुक जाता है
मनभर का दीदार होता है
उस इक लम्हे का बेहद - सा
अनहद -सा इंतज़ार होता है
कहाँ तक रूह को छू सके
क्यों न पकड़ सके उसे
इस उलझन से परेशान हो
उसे अपने अन्दर में संजो
सोचा ............
क्या हकीकत या अफसाना था
या ख्वाबों का खज़ाना था
फिर लगा ख्वाब ही तो था
जो आया, आकर चला भी गया
प्यार
प्यार की कोई वजह तो नहीं
प्यार की इन्तहा की वजह तो नहीं
प्यार के इकरार की वजह तो नहीं
प्यार के इंतज़ार की वजह तो नहीं
प्यार को पाने की वजह तो नहीं
प्यार को खोने की वजह तो नहीं
प्यार के मिलन की वजह तो नहीं
प्यार के बिछड़ने की वजह तो नहीं
प्यार के बढ़ने की वजह तो नहीं
प्यार के घटने की वजह तो नहीं
प्यार में अहम की वजह तो नहीं
प्यार में वहम की वजह तो नहीं
प्यार बस प्यार हैं… मेरे दोस्त
प्यार में पीछे मुड़ने की वजह तो नहीं
मायूसी
मायूस हूँ इस ज़माने से
अपनी ज़िन्दगी के अफ़साने से
जहाँ दूर तक कोई डगर नहीं
क्या ढूँढ रही कोई खबर नहीं
इक खत्म होने वाला सफ़र नहीं
कोई साथ चले ऐसा हमसफ़र नहीं
कुछ पा सकूँ अब तलब नहीं
किसी की हो सकूँ, क्या सबब नहीं
जब अपनो का साथ न रहा
अकेलेपन का एहसास जो उभरा
मन यूँ ही डोलने लगे जब जब
बेचैन रहे दिल तब से अब
…………..तब से अब